रोज बढ़ते हुए sensex के ज्वार में
हम भी खोये थे Rising India के खुमार में
आने वाले टाइम में इंडिया दुनिया में छा जाएगा
चीन, जापान, अमेरिका हर कोई बस मुह देखता रह जायेगा
कुछ इन्ही बातों पे कार के अंदर बहस छीड़ी थी
किसे परवाह की ट्रैफिक सिग्नल पे कितनी भीड़ खड़ी थी
तभी किसी ने कार के शीशे पे धीरे- धीरे २-३ थपकी दी
‘होगा कोई भिखमंगा’, ये सोच सबने उधर निगाहें की
उनकी इस सोच के पीछे अपनी एक ठोस जमीं थी
सवा सौ करोड़ के देश में क्या भिखमंगो की कोई कमी थी
भीख मांगने के भी सबके अपने तरीके होते हैं
किसी ने दो दिन से नहीं खाया तो कुछ काले चश्मे में अंधे बने होते हैं
कोई कहता है की दुसरे शहर से आया हूँ और जेब कट गयी
समझ नहीं आता की आज फिर ये घटना इन्ही के साथ कैसे घट गयी
अपने इसी कौतुहल से सब शीशे की ओर देख रहे थे
और शीशा उतरने से बाहर के दृश्य स्पष्ट हो रहे थे
अब समझ आरहा था की जनता छाव को तरस रही थी
क्युकी सूरज से मानो आज किरणों की जगह आग बरस रही थी
खैर, हम सबने बिलकुल सही अनुमान लगाया था
भीख मांगने को एक महिला ने खिड़की से हाथ बढाया था
पर उस महिला को देख जैसे सबको साँप सूंघ गया
कार के अन्दर हर कोई एक पल को स्तब्ध रह गया
भीख मांग रही वो महिला गर्भवती थी
इस सत्य की स्पष्टता कपड़ो से भी नहीं ढकी थी
कुछ पैसे हथेली पे रख, सबने निगाहें जमाली सिग्नल पर
पर अन्दर ही अन्दर जैसे, हम सब क झुक गए थे सर
पिछली सारी बहस और सारी बातो को चीरती
आने वाले Rising India की ये भी एक तस्वीर थी
“पाल नहीं सकती तो क्यों कर रही है पैदा इसे”
पीछे कुछ दूर चल रहे इस वार्तालाप ने, फिर झकझोर दिया जैसे
क्या यही भविष्य है देश का , या वो देश में भागीदार नहीं
क्या एक गरीब को अब यहाँ जन्म लेने का भी अधिकार नहीं
जाने कितने सवाल है उस एक कहानी में बधे हुए वो महिला जो कुछ दिनों में एक माँ का दर्जा पा जायेगी पर अपने बच्चे को क्या देगी , किस तरह से स्वागत करेगी उसका इस दुनिया में, क्या देगी उसे विरासत में , शायद गरीबी और भूखमरी …….. In Rising India
– Shubhashish
विचारणीय. निकट भविष्य की तस्वीर चिन्तित करती है और वर्तमान तो परेशान कर ही रहा है.
bahut hi sahi chitran hai vastavikta ka,samir ji se sehmat hun,pata nahi aanewala kal kaisa ho? , ek achhi kavita ke liye bahut badhai
dhanyavad sameer ji dhanyavad mehek ji.
bahut achi poem hai… dil ko chu gayi…
dhanyavad anshul sir!
baat to aapne bahut hi pate ki ki hai,
chhinta to hume aaj se jyada kal ki.
bhavisya kaisa hoga kya gul khilayaega
kya bharat duniya mai raaj kar payega,
chahte to hum bhi hai ki bharat raj kare duniya par,
par kya aise hlato mai koi chamtkar ho payega,
kyo khokhle vaado se hum chhunte hai netao ko,
kyo vapaas unhe nahi nahi late hum apne paao mai.
jaane kab tasvir badlegi is pyare se asiyane ki,
jaane kab kaun ibaarat likhega ise chamkane ki.
kya baat hai gaurav ji app ki to pratikriya bhi kavita me hai, bahut khoob 🙂
Fabulous.
Keep on writing such things.
They would be certainly admired.
@Anushree
Thanks a lot
the best
ati uttam….
hriday ko chhoo liya is kavita ne….
Dhanyavad Haryanvi ji
Shukriya Aditi ji
sahi baat kahi hai aapne….