ख्वाब और हकीकत

ख्वाब और हकीकत मे बडा फासला है,
केवल ख्वाब देखने से किसे क्या मिला है,
हमारा ही कुसूर था जो किसी ख्वाब को हकीकत समझा,
खुद पे शर्मिदां हूँ, अब तुमसे कहाँ गिला है,
…………………………… Shubhashish(2003)

2 विचार “ख्वाब और हकीकत&rdquo पर;

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