कितना अच्छा होता जो चांद की जगह तेरा चेहरा आता,
रात मे भी आकाश में दिन से ज्यादा उजाला छा जाता,
मेरी ये आँखें न सुखती बिन तेरे तुझे देखते के लिये,
रात को बेचैन होने के बजाय तेरी आँखों में ही खो जाता,
………………………………..Shubhashish(1998)
…in search of me…….
कितना अच्छा होता जो चांद की जगह तेरा चेहरा आता,
रात मे भी आकाश में दिन से ज्यादा उजाला छा जाता,
मेरी ये आँखें न सुखती बिन तेरे तुझे देखते के लिये,
रात को बेचैन होने के बजाय तेरी आँखों में ही खो जाता,
………………………………..Shubhashish(1998)
wah bahut khub
my friend very good shayari
mehek ji aur surendra singh ji bahut bahut dhanayavad