तेरा नाम दिल मे

क्यों तेरा नाम दिल मे सुबह शाम गुंजता है,
क्यों तेरे सिवा मुझे कुछ और नहीं सूझता है,
ये सवाल जब भी पुछता हूं तो जवाब मिलता है,
क्या कभी चाँद भी रौशनी को भूलता है|
……………………………… Shubhashish(2004)

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