फोर्थ इयर में आ के जिदगी हो गई जंजाल है,
मेरे बिन गर्ल-फ्रेंड के यारों का, हो गया बुरा हाल है,
आपने साथ वालियों को देख देख के ऐसे बोर हुए
अब तो इनको हर faculty लगती केवल माल है.
कुछ की तो बिमारी अब हो गयी परमानेंट है,
शादी-शुदा से ही इनका जुड़ जाता सेंटीमेंट है,
तुम्हे लड़कियां नहीं मिलती क्या ? पूछने पे जवाब देते हैं,
“क्या करें यार अपना टेस्ट ही डीफेरेंट है” |
…………………………. Shubhashish(2006)
अगर मेरे किसी पुराने दोस्त को बुरा लगा हो की उसके sentiments का मैंने मजाक उडाया है तो वो अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए स्वतंत्र है 🙂
अपनी भड़ास निकलने के लिए कम से कम एक बार फोन तो करे 😉 ………