शिक्षक दिवस के अवसर पर ये चार पंक्तियाँ गुरुजनों को समर्पित …
ज्ञान से ज्यादा मूल्यवान क्या है इस संसार में,
दान से बड़ा दूसरा कृत्य क्या है इस ब्रह्माण्ड में,
जो ज्ञान दान से हृदय प्रकाशित करते हैं मुझ तुच्छ का,
शत बार शीष झुकाता हूँ उन गुरुवों के सम्मान में !
……………………………… Shubhashish
bhut badhiya. jari rhe.
शिक्षक दिवस के अवसर पर समस्त गुरुजनों का हार्दिक अभिनन्दन एवं नमन.
प्रिय अपूर्ण जी /५ सितम्बर के बाद कोई रचना नहीं लिखी /ऐसे कैसे साहित्य सेवा करोगे /गुरु बंदना कितनी सुंदर लिखी थी
dhyan dene aur dhyan dilane ke liye bahut bahut dhanyavad Brijmohan ji, ye to jivika aur ruchi ke beech ka sangharsh hai . samayabahv ke karan nayi rachna karna mushkil hota ja raha hai
fir bhi mauka milne pe likhoonga.
again great