(ये कविता मैंने २००५ में अपने seniours के लिए उनके farewell पे लिखी थी, जिसे आज यहाँ publish कर रहा हूँ )
Ruqsat ’05
रुक्सत…
By: Shubhashish Pandey
जैसे अभी कल ही तो मिले थे,
समां था कितना प्यारा,
लगा के सीने से अपने,
किसी ने किया था अभिषेक हमारा,
थे साथ नवेंदु कई मगर,
ना सर पे माँ का आँचल था,
पर रवि प्रतीक उन दीपक से,
मॅन का हर कोना उज्जवल था,
रुला के हसन हँसा के रुलाना,
टूट जाए तो फिर उनका धीरज बंधना,
अमित खुशियों से नाचे मयूर मेरे मॅन के,
याद कर के उनका हमें कैंटीन ले जाना,
कैसे भूलूंगा वो Exams की टेंशन
आदित्य मयंक के साथ पढना-पढाना,
पीयूष बोली सदा दिल में अंकित रहेगी,
गुज़र जाये भले कॉलेज का जमाना,
हरफनमौला अदाओं से जीता
जिन्होंने हर दिल को,
कैसे रुक्सत का पायेंगे ,
इन शाक्सियत के बैसिल को,
मस्ती के पलों में जब भी
कोई युगल सुर से सुर मिलाएंगे,
हमें तो हमेशा कॉलेज के
फणीन्द्र और मंजू ही याद आयेंगे
साथ बाटी हैं हमनें खुशियाँ अपनी सारी,
वक़्त राकेश या निशांत लवनीत का हो,
किसी का कहाँ कोई डर है रहता,
जब आशीष स्वयम अजय चक्रेश का हो,
तमन्ना हमारी बस इतनी है तुमसे,
ना तोड़ना कभी आपसी प्रेम के धागे,
आज लगता है मुश्किल तुम्हे छोड़ पाना,
पर मंजिल तुम्हारी है सूरज से आगे,
यादें…
(पल जो शायद आप कभी भूल नहीं पाएंगे)
By: Shubhashish Pandey
वोलीबाल की गेंदे, वो क्रिकेट का बल्ला,
कट जाए जो लाईट तो टोपी पे हल्ला,
रात की तनहाइयों में वो आपस की बातें,
साथ बैठ के बनाना वो धुवें का छल्ला,
12 बजे रात में बर्थडे की लातें,
फिर लगा के सीने से देना सौगातें,
खोखे पे बैठ के वो चौपाल लगाना,
Juniors को जबरदस्ती के Funde पिलाना,
फिर अचानक ही कही से थी आवाज आती,
“पलट दो!-पलट दो!
वर्ना पराठा जल जायेगा मामा…”
गर्ल्स हॉस्टल पर हर रात का ग्रुप-Discussion
दिवाली-होली पर करना वो चन्दा collection;
वो जाडो की रातों में श्री राम की चाय,
जुली किसकी है ?? – करना इसपे compromisation,
हर पल में अपनी कहानी छुपी है,
मस्ती के दिन हो या DEC 31 की रातें,
याद आएगा वो बिता हुआ हर वो लम्हा,
याद करेंगे जब भी हम अपने कॉलेज की बातें
………………………….Shubhashish(2005)
इस कविता में प्रयुक्त शब्द में से ज्यादातर शब्द मेरे seniours के नाम हैं कुछ नामो के अर्थ यहाँ दिए हैं !
नवेंदु => नया चाँद ,अमित => अपार, आदित्य => सूरज, मयंक => चाँद, पियूष => अमृत, बैसिल => राजा, राकेश = चाँद, निशांत => रात का अंत करने वाला, लवनीत => सूरज की पहलो किरण